हर हर महादेव!
प्रिय भक्तों,
क्या आपने कभी सुना है, कि किसी के ज्ञान की परीक्षा लेने के लिए गायों का सहारा लिया गया हो और वह भी एक नहीं, हज़ार? नहीं? तो आइये, आज हम जानेंगे एक ऐसी ही रोचक कथा के बारे में।
एक बार की बात है, विदेह देश के राजा ने एक महायज्ञ किया। यज्ञ के समाप्त होने पर राजा ने दक्षिणा देनी चाही, परंतु इस पर भी उन्होंने एक शर्त रखी, कि जो भी ब्राह्मण सबसे ज़्यादा ज्ञानी होगा, उसे ही वह हज़ार बहुमूल्य गायों का उपहार देंगे।
उस महायज्ञ में दूर-दूर से बड़े-बड़े ऋषि मुनि आए थे, जो कि वेद पुराणों के ज्ञाता थे। राजा का यह कथन सुनकर, सभी ऋषि आश्चर्यचकित हो गए और घबरा गए, कि इतने सारे महाज्ञानी ऋषियों में से अपने आपको सबसे ज़्यादा ज्ञानी कौन बताएगा। ऐसे में महर्षि याज्ञवल्क्य ने अपने एक शिष्य को गायों को हांकने का आदेश दिया। आश्चर्यचकित होकर बाकी के ऋषियों ने उनसे पूछा, कि क्या वे अपने आपको महाज्ञानी समझते हैं?
इस पर महर्षि याज्ञवल्क्य ने कहा, कि वह तो सिर्फ गायों को अपने साथ लेकर जाना चाहते हैं। तभी वहां पधारे ऋषियों में से एक, महर्षि शाकल्य ने उन्हें चुनौती दी, कि अगर वह उनके प्रश्नों का सही उत्तर दें, तो ही यह सिद्ध हो सकेगा, कि वह महाज्ञाता हैं और इसी के बाद, वह इन गायों को अपने साथ लेकर जा सकते हैं।
याज्ञवल्क्य ने उन्हें समझाया, कि हमें कभी भी दूसरों के कथन पर न चलकर, खुद की बुद्धि पर चलना चाहिए। पर इतना समझाने के बाद भी, ऋषि शाकल्य नहीं समझे और अपनी ज़िद पर अडिग रहे। ऋषि शाकल्य की जीतने की लालसा इतनी तीव्र हो चली थी, कि उन्होंने बिना सोचे समझे याज्ञवल्क्य के सामने विभिन्न सवाल रखे। याज्ञवल्क्य ने भी उन सभी प्रश्नों का बड़ी सरलता के साथ जवाब दिया।
याज्ञवल्क्य ने देवों में सबसे श्रेष्ठ देव कौन हैं जैसे जटिल प्रश्नों का भी, सरलता पूर्वक जवाब दिया और इसी के साथ, ऋषि शाकल्य का घमंड भी टूट कर चकनाचूर हो गया। ऋषि याज्ञवल्क्य के उत्तर इतने सरल और सही थे, कि वहां उपस्थित सभी ऋषि उनके उत्तर से प्रभावित हो गए और यह मान लिया, कि ऋषि याज्ञवल्क्य ही सभी ऋषियों में महा ज्ञानी हैं।
तो भक्तों आइए, हम भी इस कहानी से सीख लें, कि हमें कभी भी किसी के ज्ञान पर सवाल नहीं उठाने चाहिए और न ही अपने ज्ञान पर घमंड करना चाहिए।
Source – Srimandir