नमस्कार अभी सभी को हमारी वैबसाइट वेद पुराण ज्ञान पर स्वागत है : भाई बहन के परस्पर प्रेम एवं सम्मान का प्रतीक भाई दूज का पर्व दीपावली के महोत्सव का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह कार्तिक माह में शुक्ल पक्ष के दूसरे दिन अर्थात दीपावली के दो दिन बाद पड़ता है। इस दिन बहनें अपने भाइयों को तिलक एवं आरती करके, उनके लंबे और खुशहाल जीवन की प्रार्थना करती हैं। जिसके बाद भाई अपनी बहनों को उपहार देते हैं।
भाई दूज का ये त्यौहार सम्पूर्ण भारतवर्ष में अलग-अलग नामों से मनाया जाता है। जैसे भाऊ बीज, भात्र द्वितीय और भतरु द्वितीय। लेकिन इस पर्व का सर और महत्व सभी स्थानों पर एक ही जैसा है।
शुभ मुहूर्त
- ब्रह्म मुहूर्त – 04:30 AM से 05:22 AM तक
- प्रातः सन्ध्या – 04:56 AM से 06:15 AM तक
- विजय मुहूर्त – 01:32 PM से 02:15 PM तक
- गोधूलि मुहूर्त – 05:10 PM से 05:36 PM तक
- सायाह्न सन्ध्या – 05:10 PM से 06:29 PM तक
- अमृत काल – 06:21 PM से 07:56 PM तक
विशेष योग
रवि योग: 16 नवंबर, 03:01 AM से 06:15 AM तक
भाई दूज का यह पावन पर्व दक्षिण भारत में यम द्वितीया के रूप में जाना जाता है, जबकि उत्तर भारत में यह त्यौहार भाई दूज के रूप में घर-घर में प्रसिद्ध है। हमारी कामना है कि भाई-बहन के स्नेह को दर्शाने वाला यह त्यौहार आपके रिश्ते में और मधुरता लाए, और भाई-बहन का साथ यूं ही बना रहे।