निर्जला एकादशी कब है | Nirjala Ekadashi Kab Hai 2026
निर्जला एकादशी कब है | Nirjala Ekadashi Kab Hai 2026

निर्जला एकादशी 2026: महत्व, शुभ मुहूर्त, व्रत विधि, लाभ और क्या करें–क्या न करें (पूरा मार्गदर्शक)

Table of Contents

🔱 निर्जला एकादशी क्या है?

निर्जला एकादशी ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष में मनाई जाती है। इस दिन सूर्य उदय से लेकर अगले दिन पारण तक भक्त जल, भोजन और सभी प्रकार के अनाज का त्याग करते हैं।
यह व्रत आध्यात्मिक शक्ति, मानसिक शांति और मोक्ष प्राप्ति का मार्ग माना जाता है।

निर्जला एकादशी
निर्जला एकादशी

👉 प्रमुख तथ्य

  • इस उपवास का फल 24 एकादशियों के बराबर है।
  • उपवास बिना जल ग्रहण किए किया जाता है।
  • इसे भीमसेनी एकादशी भी कहा जाता है।

🕉 निर्जला एकादशी का इतिहास (मिथक कथा)

महाभारतकाल में पांडवों को वेदव्यास जी ने सभी एकादशी व्रत करने का आदेश दिया था। लेकिन भीमसेन अपनी भूख और प्यास पर नियंत्रण नहीं कर पाते थे।
उन्होंने विनती की कि उन्हें ऐसा व्रत बताया जाए जो साल में केवल एक बार करना पड़े।
तब वेदव्यास जी ने निर्जला एकादशी का उपवास बताया, जिसे भीम ने कठिन तपस्या के साथ पूरा किया। तभी से यह व्रत भीमसेनी एकादशी नाम से प्रसिद्ध है।

📅 निर्जला एकादशी 2026 कब है? (तिथि और समय)

तारीख: 25 जून 2026, गुरुवार

🕒 एकादशी तिथि

  • प्रारंभ: 24 जून 2026, सुबह 06:12 बजे
  • समापन: 25 जून 2026, सुबह 08:09 बजे

🌅 पारण (व्रत खोलने का समय)

26 जून 2026 — सुबह 05:10 से 07:54 बजे तक

पारण हमेशा द्वादशी तिथि के भीतर करना चाहिए। देर करना अशुभ माना जाता है।

🌟 निर्जला एकादशी 2026 के विशेष शुभ मुहूर्त

मुहूर्तसमय
ब्रह्म मुहूर्त03:47 AM – 04:28 AM
प्रातः संध्या04:08 AM – 05:09 AM
अभिजीत मुहूर्त11:33 AM – 12:28 PM
विजय मुहूर्त02:18 PM – 03:13 PM
गोधूलि मुहूर्त06:51 PM – 07:11 PM
सायं संध्या06:52 PM – 07:54 PM
अमृत काल06:46 AM – 08:32 AM
निशिता काल11:40 PM – 12:21 AM (26 जून)
रवि योग05:09 AM – 04:29 PM

🙏 निर्जला एकादशी व्रत कैसे करें? (पूरी पूजा-विधि)

1️⃣ दशमी के दिन तैयारी

  • सात्विक भोजन करें
  • व्रत के नियम शुरू करें
  • ब्रह्मचर्य और संयम रखें

2️⃣ एकादशी की सुबह संकल्प

  • स्नान करके स्वच्छ वस्त्र पहनें
  • हाथ में जल लेकर व्रत का संकल्प लें
  • भगवान विष्णु से व्रत पूरा करने की शक्ति माँगें

3️⃣ भगवान विष्णु की पूजा

  • शालिग्राम या विष्णु प्रतिमा को स्नान कराएँ
  • पीले फूल, चंदन, तुलसी दल अर्पित करें
  • दीपक और धूप जलाएँ

4️⃣ मंत्र जाप और कथा

  • “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र का जाप करें
  • विष्णु सहस्रनाम पढ़ें
  • निर्जला एकादशी की कथा सुनें

5️⃣ रात्रि जागरण

  • भजन-कीर्तन करें
  • भगवान विष्णु और लक्ष्मी का स्मरण करें

6️⃣ द्वादशी पर पारण

  • ब्राह्मण को भोजन या दान दें
  • मुहूर्त में जल ग्रहण करके व्रत खोलें

💠 निर्जला एकादशी के उपाय (बहुत असरदार)

✔ जल का दान

राहगीरों, जरूरतमंदों या मंदिर में जलपान की व्यवस्था कराएं।

✔ वस्त्र और भोजन दान

गरीबों को पीले कपड़े, फल, अन्न और चप्पल दान करें।

✔ तुलसी पूजा

शाम को तुलसी के सामने दीपक जलाएँ और तुलसी चालीसा पढ़ें।

✔ गाय सेवा

गाय को हरा चारा खिलाना अत्यंत शुभ माना गया है।

🎁 निर्जला एकादशी के लाभ (वैज्ञानिक व धार्मिक दोनों दृष्टि से)

🔹 सालभर की सभी एकादशियों का एक साथ फल

🔹 पापों का नाश और मोक्ष का मार्ग

🔹 मानसिक संतुलन और आत्मसंयम बढ़ता है

🔹 धन, स्वास्थ्य और पारिवारिक सुख में वृद्धि

🔹 दीर्घायु और शांति की प्राप्ति

निर्जला एकादशी में क्या करें और क्या न करें?

✔ क्या करें

  • जल की एक बूंद भी न लें
  • भगवान विष्णु की पूजा
  • दान-पुण्य करें
  • संयमित और शांत रहें
  • सही समय पर पारण करें

✘ क्या न करें

  • तामसिक भोजन न खाएँ
  • क्रोध, झूठ, कटु वचन से बचें
  • व्रत के दिन अनाज न खाएँ
  • एकादशी और द्वादशी की रात सोना वर्जित है
  • पारण देर से न करें

🪔 समापन विचार

निर्जला एकादशी केवल उपवास नहीं, बल्कि स्वयं को संयमित करने और आध्यात्मिक ऊर्जा से भरने का माध्यम है। माना जाता है कि इस व्रत का पालन करने पर व्यक्ति के जीवन में सुख, शांति और समृद्धि आती है।

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