|| बुधवार आरती ||

आरती युगलकिशोर की कीजै।तन मन धन न्यौछावर कीजै॥ गौर श्याम मुख निरखत लीजै।हरि का रूप नयन भरि पीजै॥ रवि शशि कोटि बदन की शोभा।ताहि निरखि मेरो मन लोभा॥ ओढ़े नील…