क्या आपके मन भी कभी ये विचार आया है की जप माला में हमेशा 108 दाने ही क्यों होते है? इसके पीछे का रहस्य क्या है?
प्रिय पाठकों, हिंदू धर्म में जप माला एक धार्मिक औजार है, जिसका उपयोग करने से मन को शांति और आत्मा को संयम मिलता है। हिंदू धर्म में, जप माला का उपयोग मन्त्र जप के दौरान किया जाता है। मन्त्र जप में व्यक्ति ध्यान केंद्रित करता है और मन्त्र को एक निश्चित संख्या में बार बार जपता है। लेकिन माला में 108 दाने ही क्यों होते हैं? क्यों इस संख्या को हिंदू धर्म में इतना ज्यादा विशेष माना जाता है, क्या है 108 के पीछे का धार्मिक और आध्यात्मिक आयाम ? आईए श्री मंदिर में आज की इस कड़ी में हम आपको इस बारे में बताते हैं।
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जप माला में 108 दाने का महत्व
जप माला में 108 दाने इसलिए होते हैं क्योंकि इसे हिंदू धर्म में आध्यात्मिक जाप और ध्यान के लिए उपयोग किया जाता है। हिंदू धर्म में कई संयोगों में 108 का विशेष महत्व है। यहां कुछ कारण दिए गए हैं जो 108 को महत्वपूर्ण बनाते हैं-
आंतरिक परिवर्तन
हिंदू धर्म में ऐसा माना जाता है कि किसी व्यक्ति को आंतरिक परिवर्तन के लिए 108 समय की आवश्यकता होती है। इसे कॉस्मिक नंबर के रूप में जाना जाता है और यह व्यक्ति की मानसिक और आध्यात्मिक स्थिति को बदलने में मदद करता है।
ग्रह और नक्षत्र
हिंदू ज्योतिष में, नक्षत्रों और ग्रहों की संख्या 108 मानी जाती है। जप माला के माध्यम से मन्त्र जप करने से व्यक्ति को अपने ग्रहों को संतुलित करने और उनके प्रभावों को नियंत्रित करने में मदद मिलती है।
मान्यताओं में शक्ति
जपमाला में 108 दाने को महत्वपूर्ण आदान-प्रदान के लिए मान्यता दी जाती है। हिंदू धर्म में, यह कहा जाता है कि 108 भगवान के नामों और गुणों को प्रतिष्ठित करते हैं और इसलिए जपमाला के माध्यम से जप करने से व्यक्ति को भगवान के समीप आने का अनुभव होता है।
108 दाने का रहस्य
जपमाला में 108 दाने का रहस्य विभिन्न आध्यात्मिक और धार्मिक मान्यताओं से जुड़ा हुआ है। इसमें कई पारंपरिक और आध्यात्मिक संकेत हो सकते हैं, जिन्हें निम्नलिखित रूप में समझा जा सकता है-
कॉस्मिक संख्या
हिंदू धर्म में, 108 को एक कोस्मिक संख्या माना जाता है। इसे ब्रह्माण्ड के तारों, ग्रहों और नक्षत्रों के संख्यात्मक प्रतीक के रूप में देखा जाता है। इसलिए, जप माला में 108 दाने का उपयोग करके, व्यक्ति को ब्रह्माण्डिक संयोगों के साथ जुड़ा होने का अनुभव होता है।
मनोवैज्ञानिक अर्थ
जपमाला में 108 दाने का अर्थ भी मनोविज्ञानिक हो सकता है। अनुसंधान के अनुसार, मानव मस्तिष्क में 108 क्षेत्र होते हैं जिन्हें मस्तिष्कात्मक गतिविधियों के साथ जोड़ा जाता है। इसलिए, जप माला में हर दाने को छूने से मस्तिष्क के विभिन्न क्षेत्रों का संबंध बनता है और मानसिक शक्ति को जगाने में मदद करता है।
देवी-देवताओं के संख्यात्मक प्रतीक
हिंदू पौराणिक कथाओं में, देवी-देवताओं की संख्या 108 मानी जाती है। इसलिए, जप माला में 108 दाने को छूने से व्यक्ति भगवान या देवी-देवताओं के समीप आने का अनुभव करता है और उनके गुणों को अपने जीवन में आदान करता है।
मन की आध्यात्मिक शुद्धि
जपमाला में 108 दाने को छूने से, व्यक्ति के मन को शुद्ध, स्थिर और एकाग्र करने का प्रयास किया जाता है। जब एक व्यक्ति 108 दाने के साथ मन्त्र जप करता है, तो इससे मानसिक और आध्यात्मिक उन्नति होती है और अन्ततः एकाग्रता और आनंद की स्थिति में पहुंचता है।
ये थे कुछ आध्यात्मिक और धार्मिक विवरण जिनसे संबंधित हो सकता है कि जप माला में 108 दाने का रहस्य क्या है यह रहस्यमयी आंकड़ा एकाग्रता, आध्यात्मिकता और आनंद को प्राप्त करने के लिए उपयोगी होता है।
Source – ShriMandir
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