सभी वेद पुराण श्रोताओं को प्रणाम – कजरी तीज व्रत भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि पर मनाया जाता है। इसे बड़ी तीज और सातुड़ी तीज भी कहते हैं। कजरी तीज रक्षा बंधन के तीन दिन बाद अति है। इस पर्व पर भगवान शंकर और माता पार्वती की पूजा करने का विधान है। सुहागिन स्त्रियाँ इस दिन व्रत रखकर पति व संतान के दीर्घायु होने और सुखमय जीवन की कामना करती हैं।
कजरी तीज – 02 सितंबर, शनिवार (भाद्रपद, कृष्ण पक्ष तृतीया)
- तृतिया प्रारम्भ: 01 सितंबर, शुक्रवार को 11:50 PM पर
- तृतीया समापन: 02 सितंबर, शनिवार को 08:49 PMपर
तीज के शुभ मुहूर्त
- ब्रह्म मुहूर्त: 04:08 AM से 04:53 AM तक
- प्रातः संध्या: 04:31 AM से 05:39 AM तक
- अभिजीत मुहूर्त: 11:32 AM से 12:30 PM तक
- विजय मुहूर्त: 02:04 AM से 02:54 PM तक
- गोधुली मुहूर्त: 06:16 PM से 06:39 PM तक
- सायाह्म संध्या: 06:16 PM से 07:25 PM तक
- अमृत काल: 08:12 AM से 09:38 AM तक
पुरानों में वर्णन मिलता है कि कजरी तीज व्रत का अनुष्ठान सबसे पहले देवी पार्वती ने किया था। मान्यता है कि ये व्रत करने से दांपत्य जीवन सुखमय होता है, परिवार के सभी सदस्यों में प्रेम बना रहता है, साथ ही कुंवारी कन्याओं को इस व्रत के प्रभाव से योग्य पति मिलता है।
वेद पुराण ज्ञान कि कामना है कि आपका ये व्रत व पूजा अर्चना सफल हो, और भोलेनाथ व माता पार्वती आप पर सदा अपनी कृपया बनाएँ रखें।
Source : श्री मंदिर
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