कल्पवास

क्यों किया जाता है कल्पवास?

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कल्पवास एक हिंदू धार्मिक अनुष्ठान है, जिसमें एक व्यक्ति एक महीने तक संगम तट पर रहकर वेदाध्ययन और ध्यान करता है। आज की युवा पीढ़ी कभी-कभी यह प्रश्न उठाती है कि आखिर ‘कल्पवास’ क्या है? वस्तुतः यह एक ऐसा व्रत है जो प्रयोग आदि तीर्थों के तट पर किया जाता है। यह बहुत कठिन व्रत होता है। कल्पवास की अवधि पौष पूर्णिमा से माध पूर्णिमा तक होती है। इस दौरान कल्पवासी को नियमित रूप से तीन बार गंगा स्नान करने और पूजन करने का विधान है। कल्पवासी को जमीन पर ही शयन (सोना) करना होता है। इस दौरान श्रद्धालु फलाहार, एक समय का आहार या निराहार रहते हैं। कल्पवास को हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण साधना माना जाता है। मान्यता है कि कल्पवास करने से व्यक्ति के सभी तरह के कष्ट दूर होते हैं। यह एक ऐसी साधना है जिसको करना मुश्किल तो होता है, लिकन जो भी इसको पूरा करता है उसे अत्यंत शुभ फल मिलते हैं।

कल्पवास का महत्व

कल्पवास का हिंदू धर्म में बहुत महत्व है। यह एक ऐसी साधना है जिसको करने से व्यक्ति को अत्यंत शुभ फल मिलते हैं। आइए कल्पवास के महत्व को जानते हैं-

  • कल्पवास से व्यक्ति के सभी तरह के कष्ट दूर होते हैं। कल्पवास के दौरान व्यक्ति सभी सांसारिक मोह-माया से दूर रहता है। वह अपने शरीर और मन को शुद्ध करता है। इससे उसके जीवन में आने वाले सभी तरह के कष्ट दूर हो जाते हैं।
  • कल्पवास से व्यक्ति की आत्मशुद्धि होती है। कल्पवास के दौरान व्यक्ति नियमित रूप से गंगा स्नान करता है। वह वेदाध्ययन और ध्यान करता है। इससे उसके मन में सकारात्मक विचारों का उदय होता है। वह अपने जीवन का उद्देश्य समझ पाता है। इससे उसकी आत्मशुद्धि होती है।
  • कल्पवास से व्यक्ति को मोक्ष प्राप्त होता है। कल्पवास एक ऐसी साधना है जो व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति के लिए तैयार करती है। कल्पवास के दौरान व्यक्ति अपने अहंकार को त्याग देता है। वह भगवान में लीन हो जाता है। इससे उसे मोक्ष प्राप्त होता है।

कल्पवास के विशेष नियम

  • कल्पवास की शुरुआत करने से पहले एक सप्ताह तक सात्विक आहार का सेवन करना चाहिए।
  • कल्पवास करने वाला व्यक्ति सांसारिक मोह-माया और जीवन की जिम्मेदारियों को पूरा कर चुका होना चाहिए।
  • कल्पवास की शुरुआत करने से पहले संकल्प लेना चाहिए।
  • कल्पवास के दौरान ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए।
  • कल्पवास के दौरान गंगा स्नान करना चाहिए।
  • कल्पवास के दौरान वेदाध्ययन और ध्यान करना चाहिए।
  • क्रोध, घृणा, लोभ, मोह आदि बुरे विचारों को मन में आने नहीं देना चाहिए।
  • व्यभिचार, हिंसा, चोरी आदि बुरे कार्यों को नहीं करना चाहिए।
  • मांस, मछली, शराब आदि नशीले पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिए।

कल्पवास के लाभ

  • कल्पवास से मानसिक शांति प्राप्त होती है।
  • कल्पवास से व्यक्ति की आत्मशुद्धि होती है।
  • मान्यता है कि कल्पवास से व्यक्ति को मोक्ष प्राप्त होता है।
  • इससे नई ऊर्जा का संचार होता है।
  • मानसिक और शारीरिक रोगों से मुक्ति मिलती है।
  • जीवन में सफलता और सुख-समृद्धि प्राप्त होती है।
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