श्री विन्ध्येश्वरी आरती

श्री विन्ध्येश्वरी आरती

श्री विन्ध्येश्वरी आरती

सुन मेरी देवी पर्वतवासिनी,
कोई तेरा पार न पाया ।

पान सुपारी ध्वजा नारियल,
ले तेरी भेंट चढ़ाया

॥ सुन मेरी देवी पर्वतवासिनी ॥

सुवा चोली तेरी अंग विराजे,
केसर तिलक लगाया

॥ सुन मेरी देवी पर्वतवासिनी ॥

नंगे पग माँ अकबर आया,
सोने का छत्र चढ़ाया

॥ सुन मेरी देवी पर्वतवासिनी ॥

ऊंचे पर्वत बन्यो देवालय,
नीचे शहर बसाया

॥ सुन मेरी देवी पर्वतवासिनी ॥

सतयुग, द्वापर, त्रेता मध्ये,
कलयुग राज सवाया

॥ सुन मेरी देवी पर्वतवासिनी ॥

धूप दीप नैवेद्य आरती,
मोहन भोग लगाया

॥ सुन मेरी देवी पर्वतवासिनी ॥

ध्यानू भगत मैया तेरे गुण गाया,
मनवांछित फल पाया

॥ सुन मेरी देवी पर्वतवासिनी ॥

कॉपीराइट : हमारी वैबसाइट के द्वारा जो भी पोस्ट सांझा की जा रही है वह इंटरनेट पर कहीं न कहीं पहले से अस्तित्व में है। अगर हमारी वैबसाइट पर आपका कोई कॉपीराइट मटिरियल पोस्ट हुआ है तो आप हमे उसके बारे में बताए आपका कंटैंट 48 घंटो में हटा दिया जाएगा

कृपया यह भी देखें!

Leave a Comment

Join Us On Telegram How To Download Request Movies & Series

आने वाले त्योहार

सत्यनारायण पूजा कब कब करवा सकते हैं

सफला एकादशी

सफला एकादशी – 2024 जानिए शुभ मुहूर्त

Janmashtami

कृष्ण जन्माष्टमी: आ रहे हैं यशोदा के लाल 2024

जन्माष्टमी विशेष भोग

जन्माष्टमी विशेष भोग – 2024

देवउत्थान एकादशी के शुभ मुहूर्त की जानकारी

छट

छठ पर्व क्यों मनाया जाता है और क्या है इसका महत्व

Latest Series

कैसा रहेगा 2025! देखें वार्षिक राशिफल

2025 सम्पूर्ण विवाह मुहूर्त

2025 सम्पूर्ण विवाह मुहूर्त

सत्यनारायण पूजा कब कब करवा सकते हैं

सफला एकादशी

सफला एकादशी – 2024 जानिए शुभ मुहूर्त

अध्यात्मरामायण

Janmashtami

कृष्ण जन्माष्टमी: आ रहे हैं यशोदा के लाल 2024