श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का त्योहार कृष्ण भक्तों के लिए एक उत्सव के समान होता है, जिसे हर हिंदू घर में पूरी भक्ति और आस्था के साथ मनाया जाता है। इस दौरान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव की ज़ोरों-शोरों से तैयारियां की जाती हैं, साथ ही भक्त शुभ मुहूर्त में भगवान कृष्ण की पूजा-अर्चना करते हैं, और उनके जन्म का उत्सव मनाते हैं।
भगवान श्री कृष्ण का जन्म भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को द्वापर युग में हुआ था। हमारे पंचांग और गणनाओं की माने तो यह हमारे कन्हैया का 5250वाँ जन्मोत्सव होगा।
इस वर्ष कृष्ण जन्माष्टमी दिनांक 06 व 07 सितंबर, यानि बुधवार और गुरुवार को मनाई गी। जो कृष्ण जन्माष्टमी 07 सितंबर को मनाई जाएगी, जिसे इस्कॉन कृष्ण जन्माष्टमी के नाम से भी जाना जाता है।
भक्तों यह श्री कृष्ण की लीला है कि 6 और 7 सितम्बर दोनों ही तिथियों पर निशिताकल का समय और अवधि एक जैसी ही है।
इसके अलावा दही हांडी उत्सव भी 07 सितंबर, गुरुवार को मनाया जाएगा
अक्सर ऐसा होता है कि कृष्ण जन्माष्टमी दो अलग-अलग दिनों पर हो जाती है। ऐसे में अक्सर इस बात को लेकर उलझन रहती है कि व्रत का पारण कब किया जाए। तो चलिए अब बात करते हैं कि जन्माष्टमी व्रत का पारण कब किया जाए। ऐसी मान्यता है कि देव पूजा, विसर्जन आदि के बाद अगले दिन सूर्योदय पर पारण किया जा सकता है।
यदि आप 6 सितंबर, बुधवार को व्रत रख रहे हैं तो-
पंचांग अनुसार पारण का समय – 07 सितंबर, गुरुवार 04:14 PM के बाद से
वैकल्पिक समय
- 07 सितंबर, गुरुवार 05:41 AM के बाद से
- 07 सितंबर, गुरुवार 12:19 AM निशिताकाल पूजा के बाद से
यदि आप 7 सितंबर गुरुवार को व्रत का पालन कर रहे हैं तो-
- पंचांग अनुसार पारण का समय – 08 सितंबर शुक्रवार 05:41 AM के बाद से
वैकल्पिक समय
- 08 सितंबर, शुक्रवार 12:19 AM निशिताकाल पूजा के बाद से
भारत में कई स्थानों पर जन्माष्टमी व्रत का उद्यापन अथवा पारण निशिता काल की पूजा के बाद में किया जाता है। आप अपने क्षेत्र की मान्यता के अनुसार इनमें से किसी भी मुहूर्त में पारण कर सकते हैं।
विशेष मुहूर्त – कृष्ण जन्माष्टमी
- सर्वार्थ सिद्धि योग – पूरे दिन
- रवि योग 05:40 AM से 09:20 तक
Source: – SriMandir
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