महाज्ञानी और शिवभक्त रावण ने की थी इन ग्रंथों की रचना !

दोस्तों, वैसे तो रावण को एक क्रूर असुर के रूप में जाना जाता है, लेकिन एक तरफ जहाँ रावण में कई दुर्गुण थे तो वहीं दूसरी तरफ वह एक महा ज्ञानी होने के साथ कई विद्याओं का ज्ञाता भी था और शायद इसीलिए लंकेश के ज्ञान का डंका असुरों के साथ-साथ सभी देवी देवताओं के बीच में भी बजता था। रावण ने एक नहीं बल्कि कई ग्रंथों की भी रचना की थी। तो चलिए इस लेख में विस्तार से जानते हैं कि रावण ने किन किन ग्रंथों की रचना की थी?

रावण द्वारा रचित ग्रंथ

रावण ने अपने जीवन काल के दौरान बहुत सारी महान रचनाएं की थी। जिनमें से कुछ के बारे में आज हम बात करेंगे।

शिव तांडव स्त्रोत

आपने कई बार शिव तांडव स्त्रोत पढ़ा होगा, लेकिन क्या आप जानते हैं। इसकी रचना करने वाला और कोई नहीं बल्कि लंकापति रावण ही था। भगवान शिव की तपस्या के दौरान जब रावण ने अपनी शक्ति प्रदर्शन के दौरान कैलाश पर्वत अपने हाथों पर उठा लिया था। तो वो भगवान शिव को कैलाश पर्वत के साथ ही लंका ले जाना चाहता था, लेकिन जब भगवान ने अपने एक पैर के अंगूठे से कैलाश पर्वत को हल्का सा दबा दिया, तो रावण का हाथ पर्वत के नीचे ही दब गया था। तब भगवान शंकर से क्षमा मांगते हुए भगवान महादेव की स्तुति करने लगा और वहीं स्तुति बाद में चलकर शिव तांडव स्त्रोत के नाम से प्रख्यात हुई।

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अरुण संहिता

अरुण संहिता को ज्यादातर लोग लाल किताब के नाम से संबोधित करते हैं। संस्कृत के इस मूल ग्रंथ का अनुवाद कई भाषाओं में किया जा चुका हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार सूर्य के सारथी अरुण ने इस ग्रंथ को लिखने में लंकापति रावण की मदद की थी। अरुण संहिता में जन्म कुंडली हस्तरेखा और सामुद्रिक शास्त्र से जुड़ी कई सारे रहस्य और तथ्य शामिल हैं।

रावण संहिता

रावण संहिता रावण द्वारा ही लिखित ऐसा ग्रंथ हैं, जिसमें रावण के जीवन काल से जुड़ी एक-एक प्रत्येक बात लिखी गई हैं। आपको जानकर या बहुत हैरानी होगी कि, यह ग्रंथ रावण के द्वारा ही लिखा गया। इस ग्रंथ में ज्योतिष से जुड़ी सभी जानकारियों का संपूर्ण भंडार हैं।

नाड़ी परीक्षात्र

चिकित्सा और दंत के क्षेत्र में रावण का यह ग्रंथ बहुत ज्यादा प्रचलित और चर्चित है। रावण ने अंगूठे के मूल में चलने वाली धमी को जीवन नाड़ी कहा हैं, जो किसी भी मनुष्य के सुख और दुख को बताती है। रावण के अनुसार औरतों के बाया हाथ और पुरुषों का दक्षिण हाथ की नीड़ी का परीक्षण करना चाहिए।

अर्कप्रकाश

अर्कप्रकाश की भी रचना रावण के द्वारा ही की गई थी। रावण ने इसको मंदोदरी के प्रश्नों के उत्तर के जवाब के रूप में लिखा है। गर्भस्थ्य शिशु को कष्ट, रोग, काल, राक्षस और भूत-प्रेत आदि बातों से दूर रखने के उपायों को इस ग्रंथ में बताया गया हैं। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार ऐसा कहते हैं, कि अंक प्रकाश, इंजाल, कुमारतंत्र, प्राकृत कामधेनु, प्राकृत लंकेश्वर, ऋग्वेद भाष्य, रावणीयम, दस शतकात्मक, दस पटलात्मक, उड्डीशतंत्र, कुमारतंत्र ग्रंथों की भी रचना रावण ने की हैं। रावण के यह ग्रंथ अद्भुत जानकारियों से भरे हैं। कुल मिलाकर रावण ने 13 ग्रंथों की रचना की हैं।

  • इन सबके अलावा रावण पर भी कुछ ग्रंथों की रचना की गई हैं। जिसमें से कुछ वाल्मीकि ने रावण पर लिखे है। जिसमें रावण का संपूर्ण वर्णन मिलता हैं।
  • आधुनिक काल में आचार्य चतुरसेन ने भी स्वयं रक्षा नामक उपन्यास लिखा हैं। जिसमें रावण के बारे में विस्तार पूर्वक व्याख्यान किया गया हैं। • इन सबके अतिरिक्त पंडित मदनमोहन शर्मा शाही द्वारा भी एक उपन्यास लिखा गया हैं। इसे तीन भागों में विभाजित किया गया। उसका नाम भी लंकेश्वर रखा गया हैं। जिसमें लंकापति रावण के बारे में संपूर्ण जानकारी दी हुई हैं। रामायण से जुड़ी ऐसी ही और अधिक रोचक जानकारियों के लिए जुड़े रहें श्री मंदिर से।

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