श्री विन्ध्येश्वरी चालीसा

॥ दोहा ॥ नमो नमो विन्ध्येश्वरी,नमो नमो जगदम्ब। सन्तजनों के काज में,माँ करती नहीं विलम्ब॥ ॥ चौपाई ॥ जय जय जय विन्ध्याचल रानी।आदि शक्ति जग विदित भवानी॥ सिंहवाहिनी जै जग…

गंगा चालीसा

॥ दोहा ॥जय जय जय जग पावनी,जयति देवसरि गंग। जय शिव जटा निवासिनी,अनुपम तुंग तरंग॥ ॥ चौपाई ॥ जय जय जननी हराना अघखानी।आनंद करनी गंगा महारानी॥ जय भगीरथी सुरसरि माता।कलिमल…

श्री तुलसी चालीसा

॥ दोहा ॥जय जय तुलसी भगवती,सत्यवती सुखदानी। नमो नमो हरि प्रेयसी,श्री वृन्दा गुन खानी॥ श्री हरि शीश बिरजिनी,देहु अमर वर अम्ब। जनहित हे वृन्दावनी,अब न करहु विलम्ब॥ ॥ चौपाई ॥…

श्री राम चालीसा

॥ चौपाई ॥ श्री रघुबीर भक्त हितकारी।सुनि लीजै प्रभु अरज हमारी॥ निशि दिन ध्यान धरै जो कोई।ता सम भक्त और नहीं होई॥ ध्यान धरें शिवजी मन मांही।ब्रह्मा, इन्द्र पार नहीं…

श्री सरस्वती चालीसा

॥ दोहा ॥ जनक जननि पद कमल रज,निज मस्तक पर धारि। बन्दौं मातु सरस्वती,बुद्धि बल दे दातारि॥ पूर्ण जगत में व्याप्त तव,महिमा अमित अनंतु। रामसागर के पाप को,मातु तुही अब…

श्री सूर्य देव चालीसा

॥ दोहा ॥ कनक बदन कुण्डल मकर,मुक्ता माला अङ्ग। पद्मासन स्थित ध्याइए,शंख चक्र के सङ्ग॥ ॥ चौपाई ॥ जय सविता जय जयति दिवाकर!।सहस्रांशु! सप्ताश्व तिमिरहर॥ भानु! पतंग! मरीची! भास्कर!।सविता हंस!…

मां पार्वती चालीसा

॥ दोहा ॥ जय गिरी तनये दक्षजे,शम्भु प्रिये गुणखानि। गणपति जननी पार्वती,अम्बे! शक्ति! भवानि॥ ॥ चौपाई ॥ ब्रह्मा भेद न तुम्हरो पावे।पंच बदन नित तुमको ध्यावे॥ षड्मुख कहि न सकत…

श्री राधा चालीसा

॥ दोहा ॥ श्री राधे वृषभानुजा,भक्तनि प्राणाधार। वृन्दावनविपिन विहारिणी,प्रणवों बारंबार॥ जैसो तैसो रावरौ,कृष्ण प्रिया सुखधाम। चरण शरण निज दीजिये,सुन्दर सुखद ललाम॥ ॥ चौपाई ॥ जय वृषभान कुँवरि श्री श्यामा।कीरति नंदिनि…

काली माता चालीसा

॥ दोहा ॥ जय काली जगदम्ब जय,हरनि ओघ अघ पुंज। वास करहु निज दास के,निशदिन हृदय निकुंज॥ जयति कपाली कालिका,कंकाली सुख दानि। कृपा करहु वरदायिनी,निज सेवक अनुमानि॥ ॥ चौपाई ॥…

श्री गणेश चालीसा

॥ दोहा ॥ जय गणपति सदगुण सदन,कविवर बदन कृपाल। विघ्न हरण मंगल करण,जय जय गिरिजालाल॥ ॥ चौपाई ॥ जय जय जय गणपति गणराजू।मंगल भरण करण शुभः काजू॥ जै गजबदन सदन…